नर्सिंग छात्र संगठन ने कलेक्टर कार्यालय में आवेदन देकर बिना डिग्री-पंजीयन वाले स्टाफ की जांच और तत्काल कार्रवाई की मांग उठाई
जिले के चर्चित निजी अस्पताल KSS हॉस्पिटल को लेकर शुक्रवार को बड़ा मामला सामने आया, जब नर्सिंग छात्र संगठन धार ने कलेक्टर कार्यालय की आवक-जावक शाखा में एक लिखित आवेदन जमा कर गंभीर आरोप लगाए। आवेदन में कहा गया है कि इस अस्पताल में लंबे समय से कथित रूप से बिना मान्यता प्राप्त नर्सिंग डिग्री और नर्सिंग काउंसिल के पंजीयन के व्यक्तियों को बाकायदा नर्सिंग स्टाफ बनाकर मरीजों की सेवा में लगाया जा रहा है। संगठन का कहना है कि यह स्थिति न सिर्फ चिकित्सा क्षेत्र के नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाती है, बल्कि सीधे तौर पर मरीजों के जीवन को घोर संकट में डालती है। आवेदन में तीखे शब्दों में उल्लेख किया गया कि यह कृत्य “मरीजों की जान के साथ जघन्य खिलवाड़” की श्रेणी में आता है और इस पर तत्काल, निष्पक्ष एवं कठोर कार्रवाई होना अत्यावश्यक है।नर्सिंग छात्र संगठन के पदाधिकारी विक्रम गणावा ने बताया कि संगठन को लगातार यह शिकायतें मिल रही थीं कि KSS हॉस्पिटल में डिग्रीविहीन और अनुभवहीन व्यक्तियों को बाकायदा वर्दी पहना कर नर्सिंग कार्य में तैनात किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “मरीज या उनके परिजन अक्सर इस भ्रम में रहते हैं कि उनकी देखरेख कोई योग्य नर्स कर रही है, जबकि हकीकत कुछ और ही हो सकती है। अगर यह बात जांच में सही निकली तो इसे सीधे-सीधे गंभीर अपराध माना जाएगा।” आवेदन में स्पष्ट तौर पर मांग की गई कि प्रशासन तत्काल एक उच्च स्तरीय जांच समिति बनाए, जो अस्पताल में कार्यरत समस्त नर्सिंग स्टाफ की शैक्षणिक योग्यताओं और रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्रों का विधिवत सत्यापन करे। साथ ही जिनके पास कानूनी मान्यताएं नहीं हों, उन्हें फौरन हटाकर आपराधिक धाराओं में केस दर्ज किया जाए। संगठन का कहना है कि इस तरह की कथित अनियमितताएं सिर्फ एक अस्पताल तक सीमित नहीं रह जातीं, बल्कि पूरे जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को संक्रमित कर देती हैं। आवेदन में यह चेतावनी भी दी गई कि यदि जिला प्रशासन समय रहते कठोर कदम नहीं उठाता, तो मरीजों की जान से खिलवाड़ और “काली कमाई” का यह सिलसिला और बढ़ जाएगा। सूत्र बताते हैं कि अब तक के एस एस हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि इस पूरे घटनाक्रम ने शहर के नागरिकों में भी चिंता की लहर पैदा कर दी है। अनेक लोग मानते हैं कि यदि यह आरोप सही साबित हुए, तो यह मेडिकल पेशे के मूल्यों और भरोसे पर सीधा हमला होगा। कानूनी विशेषज्ञों की मानें तो भारत में बिना पंजीयन और डिग्री के नर्सिंग सेवाएं देना नर्सिंग काउंसिल एक्ट, 1947 समेत कई नियमों के उल्लंघन में आता है। दोषी पाए जाने पर जिम्मेदार व्यक्तियों और संस्था पर सख्त सज़ा का प्रावधान भी है। नर्सिंग छात्र संगठन ने स्पष्ट किया कि यह मामला किसी व्यक्ति विशेष के विरुद्ध नहीं, बल्कि मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य अधिकारों के पक्ष में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि मांगें पूरी न होने पर आगे जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक आंदोलन चलाया जाएगा। आवेदन में मांग की गई कि पूरे सत्यापन और जांच का निष्कर्ष जल्द सार्वजनिक किया जाए, ताकि आम जनता जान सके कि उनके इलाज के नाम पर कोई छलावा तो नहीं चल रहा।_________________________
जब इस मामले में अस्पताल प्रबंधक धर्मेंद्र कुशवाह से हमने संपर्क किया तो उन्होंने हमें बताया कि- हमारे यहां तो ऐसा कुछ नहीं है बिना डिग्री वाले नहीं है, हा लेकिन ट्रेनिंग के लिए बच्चे आते है लेकिन जो जॉब कर रहे है वो सब डिग्री वाले है जब पड़ने वाले छात्र छात्रा की कोलेज की छुट्टियां रहती है या गर्मी छुट्टी में सीखने के लिए आते है और अभी वर्तमान में हमारे पास करीबन 10 डिग्री वाले नर्सिंग स्टाफ है।
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अस्पताल प्रबंधक द्वारा जो हमें जानकारी दी गई उसके अनुसार वो कह रहे है कि सीखने के लिए बच्चे आते है तो कही ऐसा तो नहीं कि अस्पताल में जो नॉन डिग्री धारी नर्सिंग स्टाफ काम कर रहे हो उनको ये लोग सीखने का हवाला देते हो ताकि ताकि अस्पताल पर कोई सीधा आरोप न लगे या कही न कही अस्पताल संचालक धर्मेंद्र कुशवाह ने ये तो माना है कि अस्पताल ने बिना डिग्री वाले काम करते तो है किन्तु अस्पताल संचालक धर्मेंद्र कुशवाह ने शायद इस बात को सीखने का हवाला दिया हुआ है अब देखना यह है कि नर्सिंग छात्र संगठन ने के एस एस अस्पताल के भ्रष्टाचार के खिलाफ जो मोर्चा खोला है वो कहा तक जाता है या मामले में लीपापोती कर खत्म कर दिया जाएगा


